‘बड़ी ताक़त के साथ, बड़ी जिम्मेदारियाँ भी आती है’ ये वाक्य हमने अकसर सुना है, और हम सभी इससे परिचित है।परंतु जब पुरुष कहते हैं कि वे शारीरिक रूप से अधिक शक्तिशाली हैं तो वे उसके साथ आने वाली जिम्मेदारियों के बारे में भूल जाते हैं।
दुनिया भर में एसी कई पुरूष और महिलाएँ है जो एसा विश्वास रखते है की सेक्स के दौरान कॉंडम का उपयोग करने से लिंग को नुकसान पहुंचाता है या सेक्स को कमजोर बनाता है, और गर्भनिरोधक का इस्तेमाल स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है। यह बात का कोई पुख्ता सबूत नहीं है और यह पूरी तरह से एक ग़लत धारणा है।
एक अध्ययन में युवा महिलाओं के विभिन्न आयु वर्ग के पुरुषों के साथ संबंध रखने के अनुभवों और लिंग आधारित हिंसा के लिए उनके अनुमानित जोखिमों और स्वास्थ्य पर उसका क्या असर हुआ, उन अनुभवों को देखा और जाँचा गया ।
इस अध्ययन से यह उभर के आया की अभी भी महिलाओं पर पुरुष अपनी प्रबलता दर्शाते है, खासतौर पर जब यौन संबंधो की बात आती है। महिलाओं के व्यक्तिगत निर्णय लेने की क्षमता पे सवाल उठाया जाता हैं और उन्हें अपने शरीर पर अपना अधिकार नहीं मिलता । अंततः महिलाओं पर मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक रूप से दुर्व्यवहार होता है।
महिलाओं ने हमेशा से ही लिंग हिंसा का सामना किया है और जब भी सुरक्षित यौन संबंध की बात आती है तब भी उन्हें अपना यह अधिकार माँगने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। पुरुषों द्वारा शाब्दिक या शारीरिक हिंसा का डर उन्हें कॉंडम के उपयोग पर बातचीत करने के लिए एवं उनका एचआईवी और अन्य यौन संक्रामक रोग के लिए परीक्षण करवाने का अनुरोध करना या पुरुषों को इसका महत्व समझाना मुश्किल या कुछ क़िस्सोंमे नामुमकिन बनाता है।
जब परिवार नियोजन की बात आती है, तब भी महिलाओं के निर्णय पर विचार नहीं किया जाता । इसके परिणामस्वरूप बहुत कम उम्र की महिलाओ के बच्चों की संख्या अधिक होती है और क्यूँकि हम एक ऐसे समाज में रहते हैं जहां “केवल महिलाओं” को बच्चे / बच्चों की देखभाल करनी होती है।
अंत में फिर इन्हीं महिलाओं को अपनी नौकरियों को छोड़ना पड़ता है या एसा भी कह सकते है कि उन्हें अपने निजी जीवन से बाहर निकलना पड़ता है और अपने घर परिवार की देखभाल में निरंतर लग जाना पड़ता है। उन्हें अपने जीवन में दूसरा कुछ करने या सोचने की गुंजाईश नहीं रहती।अपने निजी सपनों और तमन्नाओं का साथ छोड़ देना पड़ता हैं।
और अगर वे गर्भ निरोधक गोलियों का सेवन (गुप्त रूप से) करने का फैसला करती हैं, तो यह कुछ समय बाद एक समस्या बन जाती हैं क्योंकि कोई औषधि-प्रयोग नहीं छुपा सकता। दूसरी बात की बिना डॉक्टर की सलाह लिए कोई भी औषधि किसी भी प्रकार लेना स्वाथ्य के लिए ठीक नहीं हैं।
सेक्स एक आदमी की खुशी के लिए है – यह सोच उस समाज की है जिससे हम आते है । माता-पिता भी अपनी बेटियों को सिखाते हैं कि यह उनका निर्णय नहीं हैं।
पर इसके बारे में हमें ही महिलाओं को शिक्षित करना होगा।
यह सब समस्याएँ, ज्ञान की कमी के कारण है। प्रभुत्व के इस पैटर्न के तहत एक महिला का पूरा जीवन नियंत्रित किया जा रहा है। प्रभुत्व न केवल हिंसा के माध्यम से व्यक्त किया जाता है, बल्कि यह सुनिश्चित करने में कि वह व्यक्तिगत निर्णय को व्यक्त न करें – जिसमें अपने शरीर पर उसका अधिकार भी शामिल है।
सुरक्षित यौन संबंध की माँग करना हर स्री का अधिकार और इसके प्रति हमें हर स्री और पुरुष को सुरक्षित यौन संबंध के फायदों और सही धारणाओं के साथ सुशिक्षित करना चाहिए।
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